काकी Questions answers│ Sahitya Sagar - ICSE

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" वर्षा के अनंतर एक दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी तो अगोचर हो जाता है, परंतु भीतर ही भीतर उसकी आर्व्ता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है वेसे ही उसके अंतस्तल में वह शोक जाकर बस गया था।”

(क) “उसके ' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? उसकी मनोदशा पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: “उसके' शब्द का प्रयोग श्यामू के लिए किया गया था। श्यामू  विश्वेश्वर का पुत्र था।  वह अपनी काकी(माँ) की मृत्यु के कारण बहुत दुखी था। कई दिन तक लगातार रोते रोते श्यामू का रुदन तो शांत हो गया था, परंतु उसके मन में जो शोक बैठ गया था वह शांत नहीं हुआ। वह प्रायः अकेला बैठा बैठा शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता था।

(ख) 'असत्य के आवरण में सत्य बहुत दिन तक छिपा न रह सका '- श्यामू को किस सत्य का, कैसे 'पता चला ? इससे उस पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर: श्यामू को इस सत्य का पता चला की उसकी काकी मामा  के यहाँ नहीं परन्तु ऊपर राम के यहाँ गई है।  आस-पास के अबोध बालकों के मुँह से ही यह सत्य का पता चला। काकी के लिए कई दिन तक लगातार रोते-रोते उसका रुदन तो क्रमशः शांत हो गया, परन्तु शोक सांत न हो पाया। वह प्रायः अकेला बैठा बैठा शून्य मन से आकाश की ओर ताका करता था।

(ग) “काकी' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : “'कहानी' में अत्यंत मार्मिक ढंग से एक अबोध तथा मासूम बालक की मातृ वियोग की पीड़ा को व्यक्त किया गया है। कहानीकार ने यह चित्रित किया है कि बालकों का हृदय अत्यंत कोमल, भावुक तथा संवेदनशील होता है। वे मातृ-वियोग की पीड़ा को सहन नहीं कर पाते।

(घ) 'काकी' शीर्षक कहानी से बालकों के किस स्वभाव का पता चलता है ?

उत्तर : ‘काकी’ शीर्षक कहानी के माध्यम से बालक के कोमल एवं संवेदनशील स्वभाव का पता चलता है। इस कहानी से पता चलता है कि छोटे बालक अपनी माँ का वियोग सहन नहीं कर पाते और मातृ-वियोग से पीड़ित होकर वह विचिलित हो जाते है और अपनी माँ के वापसी की राह देखते रहते हैं।

इस कहानी में कहानी का मुख्य पात्र बालक श्यामू पर अपनी माँ उमा के देहांत का वियोग सहन नहीं कर पाता और वह उसका कोमल मन यह मानता है कि उसकी माँ भगवान के पास से एक दिन वापस आ सकती है। इसके लिए वह तरह-तरह के उपाय करता है।

"एक दिन उसने ऊपर एक पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदव एकदम खिल उठा।”

(क) “उसने' से किसकी ओर संकेत किया गया है? वह उदास क्यों रहा करता था?

उत्तर : “उसने' से श्यामू की ओर संकेत है। वह इसलिए उदास रहा करता था, क्योंकि उसकी माँ की मृत्यु हो गई थी।

(ख) उड़ती हुई पतंग को देखकर उसका हृदय क्या सोचकर खिल उठा?

उत्तर : एक दिन श्यामू  ऊपर आसमान में पतंग उड़ती देखी। पतंग देखकर उसका हृदय खिल उठा। अपनी अबोधता और मासूमियत के कारण ही श्यामू पतंग को देखकर प्रसन्‍न हो गया। वह सोच रहा था कि पतंग को वह ऊपर राम जी  पास भेजेगा जिसे पकड़ पकड़ के उसकी काकी नीचे उतर आएगी।

(ग) पतंग मंगवाने के लिए उसने किन से प्रार्थना की ? उसकी बात सुनकर उनकी क्‍या प्रतिक्रिया हुई ?

उत्तर: पतंग मँगवाने के लिए श्यामू ने अपने पिता विश्वेश्वर से प्रार्थना की | पत्नी की मृत्यु के बाद विश्वेश्वर अन्यमनस्क रहा करते थे।  श्यामू की बात सुनकर उसके पिता ने उसकी प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया। 'अच्छा, मँगा दूँगा” कहकर वे उदाश भाव से कही और चले गए। 

(घ) पतंग प्राप्त करने के लिए उसने किस उपाय का सहारा लिया और पतंग मँगवाने के लिए किसकी सहायता ली ? इसका क्‍या परिणाम निकला ?

उत्तर: श्यामू पतंग प्राप्त करने के लिए बहुत चिंतित था। वह अपनी इच्छा किसी तरह रोक न सका।  उसने खूटी पर टँगे अपने पिता के कोट से चवन्नी चुराकर अपने मित्र भोला को दी, जो सुखिया दासी का पुत्र था , तथा उससे कहा कि वह अपनी जीजी से कहकर गुपचुप एक पतंग और डोर मँगा दे। श्यामू के पिता को जब अपने कोट से रुपया चोरी होने का पता चला तो उन्होंने ने भोला और श्यामू को धमाकाकर बोले तुमने हमारे कोट से रूपया निकला है भोला सकपकाकर एक ही डाँट में मुखबिर हो गया।  विशेश्वर ने श्यामू को  दो तमाचे जड़ दिए और यतंग फाड़ डाली।

'देखो; खूब अकेले में जाना; कोई जान न याए।'

(क) वक्‍ता और श्रोता कौन कौन हैं? दोनों का परिचय दीजिए।

उत्तर : वक्‍ता श्यामू है और श्रोता, सुखिया दासी का लड़का भोला, श्यामू की समान आयु का था। श्यामू एक अबोध बालक है। वह अपनी माँ से बेहद प्यार करता था और उसका वियोग नहीं सह सकता था। वह अत्यंत संवेदनशील बालक है। भोला सुखिया दासी का लड़का था और श्यामू का समवयस्क था। पर वह श्यामू से अधिक समझदार था। वह अत्यंत डरपोक भी था और अन्य बालकों की तरह बह भावुक भी था।

(ख) वक्ता ने श्रोता को अकेले में जाने के लिए क्यों कहा ? उसे किस बात का भय था?

उत्तर: श्यामू ने भोला को अकेले में जाने के लिए इसलिए कहा क्योंकि वह नहीं चाहता था कि पतंग लाने के बारे में किसी को पता चले। उसे इस बात का भय था कि यदि उसके पिता को उसकी चोरी का पता चल गया, तो वे उसे मारेंगे और वह पतँग  नहीं ला पाएगा और वह अपनी काकी को राम के  यहाँ से नहीं ला पयेगा 

(ग) वक्ता ने उससे कया मँगवाया ? उस वस्तु को लाने के लिए उसने उसे कितने पैसे दिए ? वे पैसे उसने कहां से प्राप्त किए थे और क्‍यों ?

उत्तर : वक्ता ने भोला से एक पतंग और डोर मँगवाई थी। पतंग को लाने के लिए उसने चवनन्‍नी दी थी। वे पैसे उसने खुटी पर टाँगे  अपने पिता विश्वेश्वर की जेब से चुराए थे। वह पतंग को पाने के लिए बेताब था क्योंकि वह उस पतंग के माध्यम से अपनी काकी को राम के यहाँ से नीचे अपने पास लाना सके। 

(घ) वक्ता उस वस्तु का प्रयोग किस लिए करना चाहता था? वह उसका प्रयोग क्‍यों नहीं कर पाया ?

उत्तर : श्यामू पतंग को ऊपर आसमान में रामजी के पास भेजकर उसकी डोर से अपनी काकी को उतारना चाहता है। भोला की सुझाओ पर श्यामू को लगा की पतंग से बंधी रस्सी पतली है और इसके टूट जाने का दर है । काकी को उतारने के लिए मोटी और मज़बूत डोर की आवश्यकता होगी। 

'अकस्मात्‌ शुभ कार्य में विघ्न की तरह उग्र रूप धारण किए हुए विश्वेश्वर वहाँ आ पहुँचे।'

(क) 'शुभ कार्य' और 'विघ्न' शब्दों का प्रयोग किस किस संदर्भ में किया गया है ?

उत्तर "शुभ कार्य" का प्रयोग उस संदर्भ में किया गया है जब श्यामू अपनी माँ को ईश्वर  के यहाँ से नीचे लाने के लिए पतंग और दो मज़बूत रस्सियाँ मँगवाता है और उस पर  काकी लिखवाता है। श्यामू अत्यंत प्रसन्न मन से अपने साथी भोला के साथ पतंग में रस्सी बाँध रहा था।

"विघ्न" का प्रयोग उस संदर्भ में किया गया है जब श्यामू चोरी किए गए पैसे से पतंग खरीदता है।जैसे ही वह शुभ कार्य संपन्न करने जाता है वैसे ही उसके पिता विश्वेश्वर विघ्न के रूप में वहाँ उपस्थित हो जाते हैं।

(ख) विश्वेश्वर कौन हैं? उनकी उग्रता का क्या कारण था?

उत्तर : विश्वेश्वर श्यामू जी के पिता हैं, जो अपनी पत्नी की असामयिक मृत्यु के कारण अन्यमनस्क रहते हैं। बह इसलिए उग्रता का कारण  उनके कोट की जेब से पैसे गायब होना था। उन्होंने भोला और श्यामू को धमाकाकर बोले तुमने हमारे कोट से रूपया निकला है। अतः  श्यामू को डाँटते हुए कहा " चोरी सीखकर जेल जायेगा ?" 

(ग) वहाँ कौन-कौन थे और वे क्या कर रहे थे?

उत्तर: वहाँ श्यामू और सुखिया दासी का लड़का, श्यामू का समवस्यक भोला था। वे दोनों बड़े प्रसन्‍न मन से 'शुभ कार्य " अर्थात अँधेरी कोठरी में बैठे बैठे पतंग में मोटी रस्सी बाँध रहे थे, ताकि श्यामू उस रस्सी के माध्यम से अपनी काकी को वापस नीचे ला सके।

(घ) विश्वेश्वर ने धमकाकर किससे क्या पूछा और उन्हें असलियत का पता कैसे चला? उन्होंने अपराधी को क्‍या दंड दिया?

उत्तर: विश्वेश्वर ने भोला और श्यामू दोनों को धमकाकर पूछा कि क्या उन्होंने उनके कोट से रुपए निकाले हैं ? उन्हें असलियत का पता तब चला जब भोला ने सकपकाकर भेद खोल दिया कि श्यामू भैया ने रस्सी और पतंग मँगवाने के लिए पैसे निकाले थे। तब विश्वेश्वर कहा अच्छा, तुझे आज अच्छी तरह समझाता हूँ। और फिर श्यामू को दो तमाचे जड़ दिए और कान मलने के बाद पतंग फाड़ डाली।

" भोला सकपकाकर एक ही डॉट में मुखबिर हो गया।”

(क) भोला कौन था ? वह क्यों सकपका गया ? 'मुखबिर' शब्द का क्‍या अर्थ है?

उत्तर : भोला सुखिया दासी का लड़का था और श्यामू का समवस्यक था, पर वह श्यामू से अधिक समझदार था। भोला अत्यंत डरपोक भी था इसलिए जब विश्वेश्वर ने डाँटकर पैसे चुराने के संबंध में पूछा तो उसने सारी बात सच सच बता दी। 'मुखबिर' शब्द का अर्थ है--भेद खोलने वाला।

(ख) डाँटने वाले का परिचय दीजिए। उसके डाँटने का क्या कारण था?

उत्तर : विश्वेश्वर श्यामू के पिता हैं, जो अपनी पत्नी की असामयिक मृत्यु के कारण अन्यमनस्क रहते हैं, गलत बात को वे सहन नहीं कर सकते और क्रोध में आकर अपने बेटे को पीट देते हैं, परंतु वास्तविकता जानकर उनका क्रोध शांत हो जाता है और वे पीड़ा से भर उठते हैं। वे श्यामू और भोला को इसलिए डाँटते हैं क्योंकि उनकी जेब से कुछ पैसे चोरी हो गए थे। और श्यामू  से बोलते है "चोरी सीखकर जेल जायेगा "

(ग) भोला ने डाँटने वाले को क्या बताया? भोला की बात सुनकर डाँटने वाले ने किसे क्या दंड दिया?

उत्तर : भोला ने डाँटने वाले को अर्थात श्यामू के पिता विश्वेश्वर को डर से  सकपकाकर सारी बात सच-सच बता दी कि श्यामू भैया ने रस्सी और पतंग मँगाने के लिए पैसे निकाले थे। तब विश्वेश्वर ने श्यामू को दो तमाचे जड़ दिए और बोले कि क्या चोरी सीखकर जेल जाएगा। यह कहकर उन्होंने फिर तमाचे जड़े और कान मलने के बाद पतंग फाड़ डाली।

(घ) भोला की बात सुनकर डाँटने वाले की क्या मनोदशा हुई?

उत्तर: जब विश्वेश्वर ने रस्सियों की ओर देखकर पूछा कि ये किसने मँगाई हैं ? तब भोला ने बताया कि श्यामू भैया ने ये मँगाई थी कहते थे,  इनसे पतंग तानकर काकी को राम जी के यहाँ से नीचे उतारेंगे। यह सुनकर विश्वेश्वर कुछ सोच पाने की अवस्था में न रहे और वहीं खड़े रह गए। उन्होंने फटी पतंग उठाकर देखी उस चिपके हुए कागज़ पर लिखा हुआ था-काकी

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