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(i) 'मैं चतुर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे विश्वास हो गया है कि मनुष्य अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है।'
(क) वक्ता एवं श्रोता कौन हैं? उसने श्रोता से अपने मन की बात किस प्रकार बताई?
उत्तर : वक्ता रामनिहाल है और श्रोता श्यामा। रामनिहाल ने श्रोता श्यामा से कहा कि उसके कठोर व्रत, वैधव्य का
आदर्श देखकर उसके हृदय में विश्वास हुआ है कि मनुष्य अपनी वासनाओं का दमन कर सकता है;
उसका अवलंब बड़ा दृढ़ है।
(ख) अपनी महत्त्वाकांक्षा तथा उन्नतिशील विचारों के बारे में वक्ता ने क्या कहा?
उत्तर : रामनिहाल ने बताया कि उसकी महत्त्वाकांक्षा और उन्नतशील विचार उसे बराबर दौड़ाते रहे। वह अपनी कुशलता से अपना भाग्य को धोखा रहे। वह किसी
भी स्थान पर जमकर न ठहर सका। कभी-कभी उसे ऐसा मालूम होता था कि अब वह अपने आप पर विजयी हो गया है और अब वह संतुष्ट होकर एक स्थान पर चैन से टिक जाएगा, परंतु यह मृगमरीचिका
थी।
(ग) वक्ता ने श्रोता से किस घटना का उल्लेख किया ?
उत्तर : रामनिहाल ने श्यामा को बताया कि एक दिन वह काम-काज से छुट्टी पाकर संध्या की शोभा देखने के
लिए दशाश्वमेध घाट पर जाने के लिए तैयार था कि ब्रजकिशोर बाबू के कहने पर वह उसके संबंधी मोहन बाबू और मनोरमा को गंगा घाट पर बजरे पर बैठाकर घुमाने ले गया था, जहाँ वह मनोरमा के संपर्क में आया और उसे संदेह होने लगा कि मनोरमा उसे चाहती है।
(घ) क्या आप वक्ता के उपर्युक्त कथन से सहमत हैं ? कारण सहित बताइए।
उत्तर : वक्ता के उपर्युक्त कथन से हम पूर्णतया सहमत हैं क्योंकि जब मनुष्य बहुत अधिक चतुराई दिखाता है।
बहुत अधिक महत्त्वाकांक्षी हो जाता है, तो वह भटकता रहता है, वह किसी भी काम से संतुष्ट नहीं होता, वह बड़ा बनने की इच्छा से दौड़ता ही रहता है और अपने-आपको विजयी मान लेता है, परंतु उसे
कहीं भी सुख नहीं प्राप्त होता।
(ii) 'भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है ? किंतु संसार तो दूसरे को मूर्ख बनाने के व्यवसाय पर चल रहा है।'
(क) रामनिहाल को ब्रजकिशोर बाबू और मोहनलाल के संबंध में किस विशेष बात का पता चला?
उत्तर : जब रामनिहाल, मोहनलाल और उनकी पत्नी मनोरमा के साथ गंगा घाट गए थे, तो उन्हें धीरे-धीरे पता
चला कि ब्रजकिशोर बाबू यह चाहते हैं कि मोहनलाल अदालत से पागल मान लिए जाएँ और ब्रजकिशोर
उनकी सारी संपत्ति के प्रबंधक बना दिए जाएँ क्योंकि वे ही मोहन बाबू के निकट संबंधी थे।
(ख) भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है ? रामनिहाल ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर : रामनिहाल ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि उसके विचार में यह संसार दूसरों को मूर्ख बनाकर अपना
स्वार्थ साधने में लगा हुआ है। ब्रजकिशोर बाबू चाहते हैं कि अदालत में मोहनलाल को पागल मान लिया
जाए, तो वे उनकी सारी संपत्ति हड़प सकते हैं क्योंकि वही उनके निकट के संबंधी हैं।
(ग) मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र क्यों लिखे थे ? उन पत्रों को लेकर रामनिहाल को क्या संदेह होने लगा था ?
उत्तर : मनोरमा ने रामनिहाल को अपनी सहायता करने के लिए पत्र लिखे थे। उन पत्रों को पाकर रामनिहाल को
संदेह हो रहा था कि शायद मनोरमा उससे प्यार करने लगी थी, परंतु संभवत: ब्रजकिशोर की चालाकियों
से रक्षा करने के लिए मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र लिखे थे।
(घ) रामनिहाल के हाथ में किसका चित्र था ? चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से क्या कहा ?
उत्तर : रामनिहाल के हाथ में श्यामा का चित्र था। रामनिहाल के हाथ में अपना चित्र देखकर श्यामा आश्चर्यचकित
रह गई। वह रामनिहाल से बोली कि क्या तुम मुझसे प्रेम करने का लड़कपन करते हो? मनोरमा तुमको प्यार करती है और तुम मुझे। मन के साधन के लिए तुमने अच्छा साधन जुटाया है। तभी कायरों की तरह यहाँ से भागने की तैयारी कर रहे हो।