साखी Chapter Question Answer | ICSE Sahitya Sagar

साखी Workbook Solution । ICSE Sahitya Sagar, sakhi ki workbook solution 2024, sakhi complete workbook answers 2024, Sahitya Sagar workbook answers
sakhi-chapter-question-answers
साखी Workbook Solution । ICSE Sahitya Sagar, sakhi ki workbook solution 2024, sakhi complete workbook answers 2024, Sahitya Sagar workbook answers class 9 shout to learn, sakhi,  sakhi ki kahanikar ka Parichay, sakhi Kahani ka saransh, sakhi Kahani ka uddeshy, sakhi Kahani ke mukhya Bindu, sakhi Charitra chitran,

साखियों पर आधारित प्रश्न

(i) गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पायें। 
बलिहारी गुरु आयनो, जिन गोबिंद दियौ बताय ।।

(क) संत कबीर ने गुरु और ईश्वर की तुलना किस प्रकार की है तथा इस दोहे के माध्यम से क्या सीख दी है?

उत्तर: संत कबीर के सामने गुरु और गोबिंद दोनों खड़े हैं। कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा है। उन्होंने इस दोहे के माध्यम से यह सीख दी है कि गुरु की कृपा से ही हम भगवान तक पहुँचते हैं, इसलिए गुरु का स्थान ईश्वर से ऊँचा है।

(ख) 'गुरु' और 'भगवान' को अपने सामने पाकर कबीर के सामने कौन सी समस्या उत्पन्न हुई? कबीर ने उसका हल किस प्रकार निकाला और क्यों ?

उत्तर: संत कबीर के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि गुरु और ईश्वर में से वह सबसे पहले किसके चरण- स्पर्श करे। इसका हल उन्होंने स्वयं ही खोजा कि गुरु ने ही मुझे ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताया है, इसलिए मुझे गुरु के चरणों में ही अपना शीश झुकाना चाहिए।

(ग) 'बलिहारी गुरु आपनो' कबीर ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर: कबीर जी कहते हैं कि मैं अपने गुरु पर कुर्बान जाता हूँ, जिन्होंने उसे ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सुझाया। यदि गुरु उसका मार्गदर्शन न करते, तो वह ईश्वर तक न पहुँच पाता।

(घ) 'गुरु गोबिंद दोऊ खड़े' शीर्षक साखी के आधार पर गुरु का महत्त्व प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर: गुरु ज्ञान का भंडार है, जो अपने शिष्य को उत्तम ज्ञान देकर उसे महान बनाता है तथा उसकी प्रत्येक कठिनाई को दूर करने का प्रयास करता है। गुरु ही उसे अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाता है तथा ईश्वर प्राप्ति का मार्ग भी सुझाता है।

ii) जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि।
प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि ।।


(क) 'जब मैं था तब हरि नहीं' दोहे में' मैं' शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया गया है?' जब मैं था तब हरि नहीं - पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।

उत्तर: दोहे में 'मैं' शब्द का प्रयोग अहंकार की भावना के अर्थ में किया गया है। कबीरदास जी कहते हैं कि जब तक मनुष्य में अहंकार की भावना होती है, तब तक उसे ईश्वर का साक्षात्कार नहीं होता। ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा मनुष्य के अहंकार की होती है। अहंकार-शून्य होकर ही ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है।

(ख) कबीर के अनुसार प्रेम की गली की क्या विशेषता है? प्रेम की गली में कौन-सी दो बातें एक-साथ नहीं रह सकतीं और क्यों ?

उत्तर: प्रेम की गली बहुत तंग होती है। जिस प्रकार किसी तंग गली में दो व्यक्तियों को स्थान नहीं दिया जा सकता, ठीक उसी प्रकार प्रेम की गली में अहंकार' और 'ईश्वर' इन दोनों को स्थान नहीं मिल सकता। [उत्तर पुस्तिका-साहित्य सागर]

(ग) उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर: कबीर की साखी में स्पष्ट किया गया है कि ईश्वर की प्राप्ति के लिए सर्वाधिक आवश्यकता है- अहंकार के त्याग की। अहंकारी व्यक्ति ईश्वर को नहीं पा सकता। अहंकार शून्य व्यक्ति सरल हृदय हो जाता है तथा ऐसा व्यक्ति हो भगवान को पा सकता है।

(घ) 'प्रेम गली अति साँकरी पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कबीर कहते हैं कि प्रेम की गली बहुत तंग होती है। उसमें अहंकार और भगवान दोनों नहीं रह सकते। भाव यह है कि अहंकारी व्यक्ति कभी भगवान को नहीं पा सकता।

(iii) काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय। 
ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।


(क) कबीरदास ने मस्जिद की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

उत्तर: कबीरदास जी मुसलमानों के खुदा को याद करने या पुकारने के ढंग पर करारा व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि तुमने कैकड़ और पत्थर जोड़ जोड़ कर मस्जिद का निर्माण कर लिया है, जिस पर चढ़कर मुल्ला बाँग देता है।

(ख) उपर्युक्त पंक्तियों में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: समाज-सुधारक संत कबीर ने इस साखी में मुस्लिम धर्मानुयायियों द्वारा अजान देकर अल्लाह का नाम लेने पर व्यंग्य किया है। वे मस्जिद पर चढ़कर जोर जोर से 'अल्लाह' का नाम लेकर अजान देते हैं। कबीर पूछते हैं कि क्या उनका खुदा बहरा है, जिसके कारण इतने जोर-जोर से उसका नाम पुकारा जा रहा है।

(ग) उपर्युक्त दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कबीर बाह्य आडंबरों के विरोधी थे।

उत्तर: कबीरदास जी ने इस दोहे में प्रचलित रूढ़ियों और आडंबरों पर गहरी चोट की है। उन्होंने मुसलमानों को इस बात के लिए फटकारा है कि वे मस्जिद पर चढ़कर बाँग देकर खुदा को क्यों पुकार रहे हैं? उनका खुदा बहरा नहीं है। शांत स्वर में भी उसे स्मरण किया जा सकता है।

(घ) उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं?

उत्तर: कबीरदास जी ने इन पंक्तियों में प्रचलित रूढ़ियों और आडंबरों पर करारी चोट करते हुए मुसलमानों को इस बात के लिए फटकारा है कि वे मस्जिद पर चढ़कर बाँग देकर खुदा को क्यों पुकार रहे हैं? उनका खुदा बहरा नहीं है, जो केवल जोर-जोर से बोलने पर ही पुकार सुनता है। इसलिए मस्जिद पर चढ़कर जोर-जोर से बाँग देना व्यर्थ है, क्योंकि ईश्वर को सब कुछ सुनाई देता है, इसलिए उसे शांत स्वर में पुकारा जा सकता है।

(iv) पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहार।
ताने ये चाकी भली, पीस खाय संसार ।।

(क) कबीर हिंदुओं की मूर्ति पूजा पर किस प्रकार व्यंग्य कर रहे हैं?

उत्तर : उपर्युक्त साखी में संत कबीरदास हिंदुओं की मूर्ति पूजा पर करारा व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि यदि पत्थर पूजने से भगवान मिल जाएँ, तो मैं किसी छोटे-मोटे पत्थर की नहीं, बल्कि पूरे पहाड़ की पूजा कर लूँगा।

(ख) 'ताते ये चाकी भली पंक्ति द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं ?

उत्तर: कबीरदास जी मूर्ति पूजा के कट्टर विरोधी थे। वे इसे एक आडंबर बताते थे। उनके अनुसार पत्थर की बनी मूर्ति की पूजा से कुछ प्राप्त नहीं होने वाला है। पत्थर की उस मूर्ति से तो 'चक्की' कहीं बेहतर है' क्योंकि इसके प्रयोग से अनाज का आटा तो प्राप्त किया जा सकता है, जिसे सभी प्रयोग करते हैं।

(ग) 'कबीर एक समाज सुधारक थे- उपर्युक्त पंक्तियों के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि इन पंक्तियों द्वारा वे क्या संदेश दे रहे हैं ?

उत्तर: कबीरदास जी ने उपर्युक्त साखी में मूर्ति पूजा को एक ढोंग एवं ढकोसला बताते हुए उसकी निंदा की है। वे कहते हैं कि केवल पत्थर-पूजन से ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है। यदि पत्थर की बनी मूर्ति की पूजा करने से भगवान की प्राप्ति हो जाती, तो मैं पत्थर की बनी छोटी-सी मूर्ति के स्थान पर पत्थर के बने पहाड़ की पूजा करने को तैयार हैं।

(घ) कबीर की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर: कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे। वे साधु-संन्यासियों की संगति में रहते थे, जिसके कारण उनको भाषा में अनेक भाषाओं तथा बोलियों के शब्द पाए जाते हैं। उसमें हिंदी के अलावा ब्रज, अवधी, उर्दू, फ़ारसी, पंजाबी आदि के शब्दों का प्रयोग भी देखने मो मिलता है, इसलिए कबीर की भाषा को 'सधुक्कड़ी' या 'पंचमेल खिचड़ी' कहा जाता है।

v) सब धरती कागद कराँ, लेखनि सब बनराय।
सात समंद की मसि करौं, गुरु गुन लिखा न जाय ।।

(क) 'भगवान के गुण अनंत हैं' कबीर ने यह बात किस प्रकार स्पष्ट की है?

उत्तर: कबीरदास जी कहते हैं कि भगवान के अनंत गुणों का बखान नहीं किया जा सकता, उन्हें संपूर्ण रूप से लिखकर भी प्रकट नहीं किया जा सकता। ईश्वर के गुणों का उल्लेख करना असंभव है।

(ख) कबीर की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: कबीर निर्गुणवादी संत कवि थे। वे हिंदू तथा मुस्लिम धर्म में व्याप्त अनेक प्रकार के ढोंग ढकोसलों तथा आडंबरों के कट्टर विरोधी थे। उनके अनुसार ईश्वर की प्राप्ति शुद्ध आचरण एवं ज्ञान से होती है, इसलिए उन्होंने अपनी साखियों में हिंदुओं और मुसलमानों को इन धर्मों में व्याप्त रूढ़ियों एवं अंधविश्वासों के लिए फटकारा है।

(ग) कबीर ने भगवान के गुणों का बखान करने के लिए किन-किन वस्तुओं की कल्पना की है? वे इस कार्य के लिए पर्याप्त क्यों नहीं हैं ?

उत्तर: कबीरदास जी कहते हैं कि भगवान के अनंत गुणों का बखान नहीं किया जा सकता। ईश्वर के गुणों का वर्णन करने के लिए यदि सारी धरती का प्रयोग कागज के रूप में कर लिया जाए, सभी वनों की लकड़ी को कलम के रूप में प्रयोग किया जाए तथा सातों समुद्रों के पानी को स्याही बना लिया जाए, तो भी ईश्वर के गुण नहीं लिखे जा सकते क्योंकि भगवान के अनंत गुणों का उल्लेख करना असंभव है। उन्हें लेखनी के बंधन में बाँधना असंभव है।

(घ) 'लेखनि सब बनराय' के अर्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कबीरदास जी ईश्वर के अनंत गुणों का उल्लेख करने के संबंध में कहते हैं कि ईश्वर के गुणों का बखान करना असंभव है। यदि उनके गुणों का वर्णन करने के लिए हम जंगलों के सभी पेड़ों को कलमें बना लें, तो भी ईश्वर के गुण नहीं लिखे जा सकते।

Post a Comment

Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.